दुनिया
की ये चका चौंध रौशनी जीने नहीं देती,
करदो
सकून तुम अपनी ज़ुल्फ़ों के साये से,
ये भाग
दौड़ मुझको मुझ से है छीन लेती,
कस के
पकड़ लो मेरा हाथ अपने हाथों से,
आज की
इस दुनिया में सच्ची मुस्कराहट कहाँ है मिलती,
अब तो
ज़िन्दगी जी रहे हैं तुम्हारी आँखों की शरारतों से,
हमेशा
मेरे पास रहो,
हर पल
मुझ से कुछ कहो,
बस कहती
रहो, कहती रहो, कहती रहो...
