Sunday, 15 September 2019

कहने को बहुत कुछ है, सुनने को बहुत कुछ है


कहने को बहुत कुछ है,
सुनने को बहुत कुछ है,

कुछ तुम अपनी कहो,
कुछ तुम मेरी सुनो,

इक बातचीत का दौर चले,
अरमानो का इक सपना सजे,

कहने को बहुत कुछ है,
सुनने को बहुत कुछ है,

पर इतना आसान नहीं है गुफ्तगू तुम से करना,
अगर कुछ ना बोल पाऊँ तो बस मेरी आखों को पड़ना...

तुम से मिलते ही अल्फ़ाज़ भूल जाता हूँ,
कहना कुछ होता है पर कुछ और ही कह जाता हूँ,

कहने को बहुत कुछ है,
सुनने को बहुत कुछ है...