ज़िन्दगी इक पल में कितना कुछ सीखा जाती है,
कभी कुछ चुरा ले जाती है,
कभी खुशियां बिछा जाती है...
इक अनजान सी हसी ज़िन्दगी का अहम् हिस्सा बन जाती है,
ढेरों ख्वाहिशें, ढेरों सपने नए बुन जाती है,
कहाँ है आसान इन सपनो के बोझ को ढोना,
पर पड़ता तो है सपनो के बीज को बोना,
चल उठ चलें इस दुनिया के ऊपर,
जहा कोई बंधिशें न हों तुझ पर...
कभी कुछ चुरा ले जाती है,
कभी खुशियां बिछा जाती है...
इक अनजान सी हसी ज़िन्दगी का अहम् हिस्सा बन जाती है,
ढेरों ख्वाहिशें, ढेरों सपने नए बुन जाती है,
कहाँ है आसान इन सपनो के बोझ को ढोना,
पर पड़ता तो है सपनो के बीज को बोना,
चल उठ चलें इस दुनिया के ऊपर,
जहा कोई बंधिशें न हों तुझ पर...

